गुरुवार, 9 अगस्त 2012

वृक्ष

आसामी का वृक्ष लगाने का अधिकार
धारा 79 (1)
- कोई आसामी अपने भूमि-क्षेत्र में वृक्ष लगा सकता है बशर्ते कि उक्त वृक्ष भूमि की उत्पादन क्षमता को कम न करें और उक्त आसामी भूमि-क्षेत्र का सम्पूर्ण लगान देता रहे।

धारा 79 (2) - यदि कोई आसामी वृक्ष ऐसे तरीके से लगाता है या लगाने का प्रस्ताव करता है कि जिससे ऐसी भूमि, जो उसके भूमि-क्षेत्र में सम्मिलित नहीं है, का मूल्य कम हो जाय तो, कोई व्यक्ति जिसके हित को उससे हानि पहुँचती हो, तहसीलदार को एक आवेदन पत्र उक्त भूमि में वृक्ष लगाने का विरोध करते हुए आज्ञा पारित करने के लिए या उक्त भूमि से पूर्व में लगाये गये वृक्षों को हटाने का आसामी को निर्देश देने हेतु, प्रस्तुत कर सकेगा और तहसीलदार प्रभावित व्यक्तियों को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद एवं ऐसी अन्य जाँच जैसी कि वह उचित समझे करने के बाद या तो आवेदन पत्र को ऐसे परिवर्तनों के साथ यदि कोई हो, जिन्हें वह उचित समझे, स्वीकार कर सकता है या अस्वीकार कर सकता है।

लोकमार्गों के सहारे राजकीय भूमि पर पेड़ लगाने का आसामी का अधिकार
धारा 79क
- आसामी अपने भूमि क्षेत्र से लगते हुए सार्वजनिक मार्ग के सहारे सहारे राजकीय भूमि पर जो चाहे कृषि भूमि हो या अन्यथा, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर लगाई गई सामान्य अथवा विशिष्ट शर्तों के अधीन पेड़ लगा सकेगा।

परन्तु ऐसे पेड़ राज्य सरकार की सम्पत्ति होंगे परन्तु उक्त आसामी ऐसे पेड़ों की उपज का एक मात्र अधिकारी होगा।

इस अधिनियम के प्रारम्भ के समय विद्यमान वृक्षों में आसामी का अधिकार
धारा 80
- खातेदारी आसामी के भूमि-क्षेत्र में, इस अधिनियम के प्रारम्भ के समय यत्र-तत्र स्थित वृक्ष, इस अधिनियम कें किसी बात के अथवा किसी विपरीत रिवाज या अनुबन्ध के होते हुए भी उक्त आसामी में विहित होंगे।

परन्तु जहाँ ऐसे वृक्ष, इस अधिनियम के प्रारम्भ के समय किसी अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति है तो आसामी द्वारा, उक्त व्यक्ति को उस बारे में निर्धारित नियमों के अनुसार क्षतिपूर्ति दी जायेगी।

CASE LAW:-
हरचन्द बनाम महावीरसिंह  (आर.आर.डी. 1979 पृष्ठ 567)
वृक्ष चाहे काश्तकार ने न लगाये हो। काश्तकारी अधिनियम लागू होने से वे उसमें स्वतः निहित हैं।

अनधिवासित भूमि पर स्थित वृक्ष
धारा 81 (1)
- कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के समय अनधिवासित भूमि पर किसी वृक्ष पर न्यायोचित आधिपत्य रखता हो, उस पर लगातार कब्जा रखेगा और जहाँ उक्त भूमि किसी अन्य व्यक्ति को पट्टे पर दे दी जावे तो वृक्ष उस अन्य व्यक्ति में इस शर्त के अधीन निहित होंगे कि वे ऐसी क्षतिपूर्ति  दे दी जाये जो धारा 80 के अन्तर्गत बनाये गये नियमों द्वारा विहित की जाय।

धारा 81 (2) - उपधारा (1) में उल्लिखित प्रावधानों के अधीन रहते हुए, अनधिवासित भूमि पर स्थित या इस अधिनियम के प्रावधानों को उल्लंघन करते हुए लगाया गया, काई वृक्ष भूमिधारी की सम्पत्ति समझा जायगा।

वृक्ष भूमि से अलग हस्तान्तरित नहीं किये जावेंगे
धारा 82
- इस अधिनियम के अन्य प्रावधानों के अधीन रहते हुए किसी भूमि पर स्थित समस्त वृक्ष उस भूमि में संलग्न समझे जायेंगे तथा उनमें निहित कोई भी हित, इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के बाद, भूमि से अलग हस्तान्तरित नहीं होगा, सिवाय उस परिस्थिति के जब कि उन वृक्षों की पैदावार को पट्टे पर दिया जाय जिसकी अवधि एक वर्ष से ज्यादा नहीं होगी।

वृक्षों को उपबन्धित रीति के अतिरिक्त अन्यथा नहीं हटाया जा सकता
धारा 84 (1) - विलुप्त
धारा 84 (2) - कोई खातेदार आसामी जिसके पास अधिकतम-क्षेत्र की सीमा से कम भूमि हो, अपने भूमि-क्षेत्र में स्थित वृक्षों को किसी भी प्रयोजन हेतु हटा सकेगा।
परन्तु कोई आसामी सिवाय ऐसे अधिकारी की अनुमति से और ऐसी शर्तों एवं निर्बन्धनों के अधीन जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जावें अपनी सद्भावी घरेलू अथवा कृषि संबंधी आवश्यकता के अतिरिक्त अन्य प्रयोजन से वृक्ष नहीं हटायेगा।

धारा 84 (3) - कोई गैर खातेदार आसामी अपने भूमि-क्षेत्र में स्थित किन्हीं वृक्षों को तहसीलदार की पूर्व अनुमति से अपने स्वयं के घरेलू या कृषि संबंधी  उपयोगों के लिए हटा सकेगा।

धारा 84 (4) - कोई शिकमी-आसामी भूमि-क्षेत्र में स्थित किन्हीं वृक्षों को, उस व्यक्ति की स्वीकृति से जिससे लेकर वह भूमि धारण करता हो, स्वयं के घरेलू या कृषि संबंधी उपयोग के लिये हटा सकेगा।

धारा 84 (5) - कोई खातेदार आसामी जिसके पास अधिकतम-क्षेत्र की सीमा से अधिक भूमि एवं ऐसे किन्हीं वृक्षों को हटाना चाहे जो उसमें निहित हैं या उसकी सम्पत्ति है या उसके अधिपत्य में है, एक लाईसेंस के अनुसार जो उपखण्ड अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जायगा, हटा सकेगा।

धारा 84 (6) -  उपधारा (5) के अन्तर्गत आवेदन पत्र प्राप्त होने पर उपखण्ड अधिकारी निर्धारित रीति से ऐसी जाँच करने के बाद जो उचित हो तथा विहत  मामले को ध्यान रखते हुए अपेक्षित लाइसेंस निर्धारित प्रपत्र में, विहित शुल्क का भुगतान किये जाने पर, ऐसे निर्बन्धनों, शर्तों तथा प्रतिबन्धों के अधीन रहते हुए, जो विहित किये जायें, स्वीकृत कर सकेगा।

धारा 84 (7) -  इस धारा की कोई बात राज्य सरकार पर लागू नहंी होगी अथवा राजस्व अभिलेख में राज्य के नाम दर्ज की हुई किसी भूमि में स्थित किसी वृक्ष को किसी भी प्रयोजन के लिए, हटाने या हटवाये जाने का आदेश देने के राज्य सरकार के अधिकार या शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

वृक्षों से संबंधित विवाद
धारा 85
- यदि कोई विवाद-
(क) कोई वृक्ष लगाने के अधिकार के संबंध में, या
(ख) उसे लगाने की रीति के संबंध में, या
(ग) उसके स्वामित्व के संबंध में, या
(घ) उसे हटाने के अधिकार कें संबंध में,

उत्पन्न हो जाय तो, उक्त विवाद का निर्णय आवेदन पत्र देने पर या अन्यथा तहसीलदार द्वारा किया जाएगा।

अवैध रीति से हटाये जाने पर शास्तियाँ
धारा 86
- जो कोई धारा 83 या धारा 84 के समस्त प्रावधानों का या उनमें से किसी का या उसके अन्तर्गत स्वीकृत किये गये लाइसेंस के किसी शर्त या प्रतिबन्ध का उल्लंघन करता है, आवेदन पत्र प्रस्तुत किये जाने पर या रिपोर्ट किये जाने पर, सहायक कलक्टर द्वारा-
(क) प्रथम उल्लंघन की दशा में,
(1) जहाँ वृक्ष हटाया गया हो, ऐसी जुर्माने से जो हटाये गये प्रत्येक वृक्ष के लिए एक सौ रूपये तक हो सकेगा, तथा
(2) अन्य मामलों से, ऐसे जुर्माने से जो एक सौ रूपये  तक हो सकेगा, तथा

(ख) द्वितीय उसके बाद उल्लंघन की अवस्था में, ऐसे जुर्माने से जो खण्ड (क) में अधिरोपित किये जा सकने वाले जुर्माने की रकम के दुगने तक हो सकेगा, दण्डित किया जा सकेगा।

और कोई वृक्ष या लकड़ी जिसके संबंध में उल्लंघन किया गया हो, राज्य सरकार के हक में जब्त की जा सकेगी।

CASE LAW:-
नाथना बनाम राज्य (आर.आर.डी. 1967 पृष्ठ 9)
धारा 86 की सुनवाई के अधिकार फौजदारी न्यायालय को नहीं है। यह धारा राजस्व न्यायालय को ही अधिकृत करती है।

बेरीसालसिंह बनाम राधा (आर.आर.डी. 1972 पृष्ठ 138)
इस धारा के अन्तर्गत तहसीलदार को क्षेत्राधिकार नहीं है। सहायक जिलाधीश प्रतिवेदन व सूचना पर कार्यवाही कर सकते हैं, स्वयं के स्वविवेक का प्रयोग नहीं कर सकते।

4 टिप्‍पणियां:

  1. रास्ता बंद कर दिया है बदमास लोंगो ने क्या करे कोई उपाय सुझाव हो तो 9660157789 पर हेल्प करे

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  2. राजस्थान हाई कोर्ट की डबल बेंच से जीतकर डिक्री प्राप्त हुई है हमारी कृषि भूमि का आधा भाग बेच दिया गया था जो वापस प्राप्त होकर खाते बंद गया है अब कृषि भूमि पर हमें कब्ज़ा कैसे प्राप्त होगा क्योंकि हमारे प्रतिवादी ने कर्षि भूमि मुनाफे पर अन्य किसानों को दे रखी है

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  3. आबादी भूमि में वृक्ष काटने की स्वीकृति कोन देगा

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